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रीतिमुक्त काव्य की प्रवृत्तियां(Rītimukta kavy ki pravartiya)

1. रीतिमुक्त काव्यधारा अपने युग में रची जा रही कविता की प्रतीक्रियात्मक कविता है। यह कविता काव्य शास्त्रीय विधि-विधानों एवं दरबारी संस्कृति से पराङ्मुख होकर रची गई है,इसीलिए इसे रीतिमुक्त कविता कहते हैं। इस कविता में प्रेमभावना की मस्ती है और इसलिए कुछ समीक्षाकों ने इसे स्वच्छंद काव्यधारा भी कहते हैं। 1. प्रणय भावना । 2. सौंदर्य निरूपण। 3. श्रृंगार ...

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