• सिद्ध साहित्य का समय:– 8 वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी तक। [ ] सिद्ध साहित्य का कार्यक्षेत्र :- • बंगाल, असम, उड़ीसा बिहार ।(डॉ. नगेन्द्र के अनुसार) • जालंधर, ओडियान,अर्बुद,पूर्वगिरी ,कामरूप। ( प्रकाश बगीची के अनुसार ) • ओडियान, पूर्णगिरि ,कामाख्या (साधनमाला में) [ ] सिद्ध साधना के केंद्र :- • नालंदा विश्वविद्यालय(बिहार के राजगीर जिले में, • ...
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सिद्ध साहित्य की प्रवृतियां (sidh sahitya ki pravartiya)
1. योग के क्षेत्र में काया साधना की विभिन्न भूमिकाओं का निरूपण 2. ज्ञान की उपेक्षा 3. शून्यवाद की प्रतिष्ठा 4. तांत्रिक साधना के रूप में मद्य -मैथुन का सेवन (वाममार्गी साधना पद्धति) 5. वर्णाश्रम व्यवस्था रूढियों एवं बाह्याडंबरो का खण्डन 6. शांत एवं श्रृंगार रस की प्रधानता 7. अंतर्मुखी साधना पर बल 8. सद्गुरु की महत्ता का प्रतिपादन 9. ...
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