• अंग्रेजी सीखकर जिन्होंने विशिष्टता प्राप्त की है, सर्वसाधारण के साथ उनके मत का मेल नहीं होता। हमारे देश में सबसे बढ़कर जातिभेद वही है, श्रेणियों में परस्पर अस्पृश्यता इसी का नाम है।” रवीन्द्रनाथ ठाकुर • “भारतवर्ष में सभी विद्याएं सम्मिलित परिवार के समान पारस्परिक सद्भाव लेकर रहती आई हैं।” ...
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