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विश्वम्भरनाथ उपाध्याय के उपन्यास(Vishwambharnath Upadhyay ka upanyas)

?विश्वम्भरनाथ उपाध्याय के उपन्यास ?   ● रीछ (1967 ई .) 【प्रथम उपन्यास】   ● पक्षधर ( 1971 ई.)【इसकी कथावस्तु गुरिल्ला युद्ध पर आधारित है।】   ● जाग मच्छन्दर गोरख आया (फैंतेसी शैली में)   ● दूसरा भूतनाथ(1985 ई.)   ● जोगी मत जा(1987 ई.)【 राजा भर्तृहरि का चित्रण)】- मीरा पुरस्कार और प्रेमचंद पुरस्कार से सम्मानित उपन्यास   ● विक्षुब्ध ...

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विश्वम्भरनाथ उपाध्याय की कृतियाँ(Vishwambharnath Upadhyay ki krtiyan)

?विश्वम्भरनाथ उपाध्याय की कृतियाँ ?   ◆ उपन्यास:-   ● रीछ (1967 ई .) 【प्रथम उपन्यास】   ● पक्षधर ( 1971 ई.) 【इसकी कथावस्तु गुरिल्ला युद्ध पर आधारित है।】   ● जाग मच्छन्दर गोरख आया (फैंतेसी शैली में)   ● दूसरा भूतनाथ(1985 ई.)   ● जोगी मत जा(1987 ई.)【 राजा भर्तृहरि का चित्रण)】- मीरा पुरस्कार और प्रेमचंद पुरस्कार से सम्मानित ...

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कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय (Kanhaiyalal Mishra ‘Prabhakar’ ka jeevan parichay )

?कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जीवन परिचय ?   ◆ जन्म :-29 मई, 1906ई. देवबन्द,सहारनपुर(UP)   ◆ मृत्यु:– 9 मई 1995ई.   ◆ पिता का नाम :- पं. रमादत्त मिश्र   ◆ माता का नाम :- मिश्रीदेवी   ◆ पत्नी का नाम:- रामकली देवी ( विवाह -1924ई.)   ◆ प्रमुख निबंध संग्रह :- ● बाजे पायलिया के घुँघरू ● जिंदगी मुसकुराय ...

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मलूकदास का व्यक्त्तित्व और कृतित्व कबीरदास जैसा (Malukdas ka vyakttitv aur krtitv Kabirdas jaisa)

?मलूकदास का व्यक्त्तित्व और कृतित्व कबीरदास जैसा ?   ? मलूकदास ?   ● मलूकदास ज्ञानमार्गी सन्त थे   ● निर्गुण शाखा के पोषक थे।   ● उनका व्यक्त्तित्व और कृतित्व(ज्ञानबोध ग्रन्थ )कबीरदास जैसा था।   ● कबीरदास और मलूकदास के इन दोहे से पता चल सकता है :-   ◆ कबीर दास का दोहा :- पाहन पूजे हरि मिलें, ...

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रामचरितमानस और कवितावली में कलियुग की मूल समस्या(Ramcharitmanas and Kavitavali ein kaliyug ki mool samasya)

?रामचरितमानस और कवितावली में कलियुग की मूल समस्या?   ?कलियुग तुलसी दास के समय का यथार्थ है। ?रामचरितमानस में कलियुग की मूल समस्या :- ● लोग वर्णाश्रम धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं। ● परिवार की मर्यादाएँ बिखरती जा रही हैं। ● राजा प्रजा से निरपेक्ष होकर भोग में लीन है। ? कवितावली में कलियुग की मूल समस्या :-आर्थिक ...

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भारतेन्दु हरिश्चंद्र की पत्रिका(Bhartendu Harishchandra ki patrika)

?भारतेन्दु हरिश्चंद्र की पत्रिका? (1) कविवचन सुधा- 1868 ई. (मासिक, पाक्षिक तथा बाद में साप्ताहिक)   (2) हरिश्चन्द्र चन्द्रिका – 1873 ई. (मासिक, पूर्व के आठ अंकों का प्रकाशन हरिश्चन्द्र मैगजीन नाम से)   (3) बाला बोधिनी- 1874 ई. (स्त्री शिक्षा से संबंधित मासिक पत्रिका) ? पढ़ना जारी रखने के लिए यहाँ क्लिक करे। ? Pdf नोट्स लेने के लिए ...

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भारतेंदु हरिश्चन्द्र के अनुदित नाटक (Bhartendu Harishchandra ke anudit natak )

?भारतेंदु हरिश्चन्द्र के अनुदित नाटक ? (1) विद्या सुंदर (1868 ई.)- यतीन्द्रमोहन के बंगला नाटक का अनुवाद   (2) पाखंड विडंबन (1872 ई.)- कृष्ण मिश्र के ‘प्रबोधचन्द्रोदय’ के तृतीय अंक का अनुवाद   (3) धनजंय विजय ( 1873 ई.)- कांचन कवि के नाटक का अनुवाद   (4) कर्पूर मंजरी (1875 ई.)- राजशेखर कवि के प्राकृत भाषा की रचना का अनुवाद ...

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राउरवेलि(राउलवेल) का परिचय(Raurveli ka parichay)

?राउरवेलि(राउलवेल) का परिचय ?   * रचनाकाल – 10वीं शताब्दी( डॉ. नगेन्द्र के अनुसार)   * राउलवेल का अर्थ – राजकुल विलास(इसलिए शिलालेख के व्यक्ति राजकुल के प्रतीत होते है।)   *विषय:- सामन्त की नायिकाओं का नखशिख वर्णन।(सात नायिकाओं का)   * रचनाकार – रोड़ा   * हिन्दी का प्रथम चम्पू काव्य(गद्य-पद्य मिश्रण)   * शिलांकित(शिला या चट्टानो पर लिखा ...

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मत्स्येन्द्रनाथ का परिचय( Matsyendranath ka parichay)

? मत्स्येन्द्रनाथ का परिचय ? • गोरखनाथ के गुरु। • अवलोकितेश्वर के अवतार (नेपाली अनुश्रुति के अनुसार)। • नाथ परंपरा के आदिगुरु • कौलाचार के सिद्ध पुरुष • कौल मार्ग के प्रथम प्रर्वतक (कौलज्ञान निर्णय के अनुसार ) • सकल कुल शास्त्र के अवतार (तंत्रालोक की टीका के अनुसार) • योगी संप्रदाय में मछंदर नाथ नाम प्रसिद्ध। • परवर्ती संस्कृत ...

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शून्यवाद प्रवर्तक आचार्य नागार्जुन का परिचय(shoonyavad pravartak aachary Nagarjuna ka parichay)

?आचार्य नागार्जुन का परिचय ? * शून्यवाद सबसे प्रबल प्रवर्तक आचार्य नागार्जुन(दूसरी शताब्दी तथा तीसरी शताब्दी के मध्य) * नागार्जुन का सबसे प्रसिद्ध ग्रंथ – माध्यामिक शास्त्र * नागार्जुन ने उत्पत्ति,गति, दुख,बंधन, मोक्ष आदि सभी धारणाओं की तर्क सहित परिक्षा कर यह सिद्ध किया है कि सभी में विरोध धर्मो की उपस्थिति है अतः सभी शून्य है। * माध्यमिक पथ ...

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साहित्य का देवता,साहित्य देवता,समय देवता[saahity ka devata,saahity devata,samay devata]

saahity ka devata,saahity devata,samay devata

?साहित्य का देवता :- दुलारे लाल भार्गव (निराला के अनुसार) ◆ निराला दुलारे लाल भार्गव के व्यक्तित्व से इतने अभिभूत थे कि उन्हें ‘साहित्य का देवता’ कहा करते थे। ★ दुलारे लाल भार्गव निराला के मुक्त छंदों के समर्थक या प्रशंसक नहीं थे। ? साहित्य देवता :- माखनलाल चतुर्वेदी (डॉ.रामकुमार वर्मा के अनुसार) ◆ डॉ.रामकुमार वर्मा ने कहा:- “पंडित जी, ...

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