तत्सम, तद्भव, देशज, और विदेशी शब्द विभिन्न भाषाओं के शब्दों के लिए उपयोग किए जाने वाले शब्द वर्ग हैं। ये शब्दों के उत्पत्ति और संरचना के आधार पर विभाजित किए जाते हैं।
1. तत्सम (Sanskrit-Origin Words): तत्सम शब्द उस भाषा के शब्द होते हैं जो संस्कृत से सीधे उत्पन्न हुए हैं और उनका अर्थ और रूप संस्कृत से ही प्राप्त होता है। उनमें कुछ शब्द भारतीय भाषाओं में संस्कृत शब्दों की रूपरेखा के साथ प्रवाहित होते हैं। उदाहरण के लिए, “विद्या” और “धर्म”।
2. तद्भव (Derived from Sanskrit): तद्भव शब्द भी संस्कृत से आए शब्द होते हैं, लेकिन उनमें कुछ मामूली परिवर्तन हो जाता है और उनका अर्थ भी थोड़ा बदल जाता है। ये शब्द भारतीय भाषाओं में उपयोग किए जाते हैं, लेकिन उनकी रूपरेखा में कुछ बदलाव होता है। उदाहरण के लिए, “अनुशासन” का संस्कृत संज्ञा रूप “अनुशासनम्” है, जबकि हिंदी में इसका रूप “अनुशासन” है।
3. देशज (Indigenous Words): देशज शब्द वह शब्द होते हैं जो किसी भाषा के संस्कृत या विदेशी शब्दों से प्राप्त नहीं होते हैं। इन शब्दों का उत्पादन स्थानीय सांस्कृतिक और भौगोलिक परिवेश से होता है। उदाहरण के लिए, “बाज़ार” और “मित्र”।
4. विदेशी (Foreign-Origin Words): विदेशी शब्द उन शब्दों को कहा जाता है जो किसी भाषा के संस्कृत या देशज शब्दों के बजाय विदेशी भाषा से लिए गए होते हैं। ये शब्द अक्सर विदेशी भाषाओं से लिए जाते हैं, जैसे अंग्रेज़ी, फ़्रेंच, या अरबी। उदाहरण के लिए, “डॉक्टर” और “रेडियो”।
तत्सम – तद्भव शब्द की परिभाषा
देशज- विदेशी शब्द की परिभाषा
तत्सम – तद्भव शब्द एवं देशज- विदेशी शब्द याद करने की आसान शॉर्ट ट्रिक
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