वाच्य(vachy) की परिभाषा एवं प्रकार
वाच्य (Voice) भाषा विज्ञान में एक मुख्य विभाजन है जो किसी क्रिया के व्यक्ति (कर्ता), क्रिया (कार्य), और वस्तु (कर्म) के संबंध को दर्शाता है। वाच्य वाक्यांशों को उनके कार्यों के प्रकार के आधार पर विभाजित करता है।
वाच्य के प्रमुख प्रकार होते हैं:
1. कर्तृवाच्य (Active Voice): जब क्रिया का कर्ता कार्य को सम्पन्न करता है, तो उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। उदाहरण के लिए, “राम ने गीत गाया”।
2. कर्मवाच्य (Passive Voice): जब क्रिया का कार्य किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु द्वारा किया जाता है, तो उसे कर्मवाच्य कहते हैं। उदाहरण के लिए, “गीत राम द्वारा गाया गया”।
3. भाववाच्य (Potential Voice): जब किसी क्रिया के सम्पन्न होने की सम्भावना या संभावना का व्यक्त किया जाता है, तो उसे भाववाच्य कहते हैं। उदाहरण के लिए, “राम ने अभ्यास किया”।
वाच्य
वाच्य का अर्थ :- जो कहा गया हो अर्थात् कथन वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का रूप कर्त्ता, कर्म अथवा भाव किसके अनुसार प्रयुक्त हुआ है इसका बोध कराने वाले कारकों को वाच्य कहते है।
वाच्य तीन प्रकार के होते है: कर्त्तृ वाच्य,कर्म वाच्य
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कर्त्तृ वाच्य :- जहाँ कर्त्ता की प्रधा हो अर्थात् जब क्रिया कर्ता के लिए लिंग, वचन,के अनुसार प्रयुक्त होती है उसे कर्तृ वाच्य कहते है। उदाहरण
उक्त वाक्यों की है। एँ पीता’ और ‘पढ़ती’ कर्त्ता विनोद और रमा के अनुसार कर्त्तृ वाच्य में सकर्मक और अकर्मक क्रियाएँ दोनो होती है। नोट – आदर के अर्थ में आप शब्द के साथ क्रिया हमेशा बहुवचन में प्रयुक्त होती है।
उदाहरण – आप खाना खा रहे हो। आप अजमेर जा रहे है ।
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कर्म वाच्य :- जहाँ कर्म की प्रधानता हो अर्थात् जब क्रिया कर्म के लिए लिंग, वचन, के अनुसार प्रयुक्त होती है उसे कर्म वाच्य कहते है। इसमें वाक्य का उद्देश्य क्रिया का कर्म हैं।
उदाहरण (i) पत्र लिखा जाता है।
(ii) पुस्तक पढ़ी जाती है। उक्त वाक्य में ‘पत्र’ और ‘पुस्तक’ कर्म हैं और इनके अनुसार लिखा जाता’ और ‘पढ़ी जाती’ क्रियाएँ हैं।
कर्म वाच्य सदैव सकर्मक क्रियाओं का ही होता है क्योकि कर्म वाच्य में कर्म की प्रधानता रहती है और क्रिया कर्म के लिंग, वचन, के अनुसार प्रयुक्त होती है।
नियम – 1. कानूनी व्यवहार में अधिकार व्यक्त करने के लिए।
उदाहरण :- बगैर टिकट वालों को सख्त सजा दी जायेगी
नियम – 2. कर्त्ता पर जोर देने के लिए । उदाहरण कंस कृष्ण द्वारा मारा गया। –
नियम – 3. संभावना व्यक्त करने के लिए उदाहरण – काम करने पर बोनस
नियम -4. अपना प्रभाव व्यक्त करने के लिए। उदाहरण अपराधी को
नियम – 5. जब कर्त्ता अज्ञात हो अथवा ज्ञात कर्त्ता का उल्लेख करने की आवश्यकता न उदाहरण – परीक्षाफल कल घोषित किया जायेगा।
नोट :- कर्म वाच्य की दो स्थितियां होती है।
(1.) कर्त्ता युक्त कर्म वाच्य (2.) कर्त्ता रहित कर्म वाच्य
(1.) कर्त्ता मुक्त कर्म वाच्य :- जब वाक्य में कर्त्ता विद्यमान हो और कर्त्ता में कारक चिह्न प्रयुक्त हो अथवा वाक्य भूतकाल का हो तो उसे कर्त्ता वाच्य कहते है। युक्त कर्म
उदाहरण-विकास ने मिठाई खाई थी ।
(2.) कर्त्ता रहित कर्म वाच्य :- जब वाक्य में प्रयुक्त कर्म प्रत्यक्ष कर्त्ता के रूप में
प्रयुक्त होता है तो ऐसी स्थिति में संयुक्त क्रिया होती है कर्त्ता रहित कर्म वाच्य
कहते है ।
उदाहरण-एक और अध्ययन हो रहा था, दूसरी ओर मैच चल रहा है।
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भाव वाच्य :- :- जहाँ भाव की प्रधानता हो अर्थात् जब क्रिया अ
अनुसार प्रयुक्त हो तो उसे भाव वाच्य कहते है ।
उदाहरण- अब चला जाए।
मुझसे बैठा नहीं जाता।
वाच्य संबंधी कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु :
कर्तृवाच्य में सकर्मक अकर्मक दोनो ही प्रकार की क्रियाओं का प्रयोग होता है।
कर्मवाच्य में क्रिया सदैव सकर्मक होती
भाववाच्य में क्रिया सदैव अन्य पुरुष पुल्लिंग, एकवचन में रहती है।
कर्मवाच्य तथा भाववाच्य में कर्ता के बाद के द्वारा या से परसर्ग का प्रयोग किया जाता है, बोलचाल मे ‘से’ का प्रयोग प्रायः निषेधात्मक वाक्यों
किया जाता है।
वाच्य की परिभाषा एवं प्रकार
वाच्य से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दु
कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य और भाववाच्य बनाना
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