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जैन साहित्य(jain sahity)

• कर्मकाण्डो से परे ,जाति वर्ण भेद से परे सबको मुक्ति का अधिकार प्राप्त करने का सन्देश जैन धर्म देता है। उत्तर भारत मे जैन धर्म के अनुयायी सर्वत्र ही है किन्तु 8वीं से 13वीं शती तक गुजरात मे जैन धर्म का व्यापक प्रभाव था। • जैन सबसे ज्यादा :– गुजरात और राजस्थान में • इनकी रचना की भाषा :- ...

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जैन साहित्य की प्रवृत्तियां ( jain sahitya ki pravartiya)

जैन साहित्य की प्रवृत्तियां

जैन साहित्य की प्रवृत्तियां ( jain sahitya ki pravartiya) 1. आध्यात्मिक चिंतन की प्रधानता। 2. रहस्यवादी विचारधारा का समावेश। 3. बाह्य उपासना पूजा-पाठ, रूढ़ियों और शुद्ध आत्मानुभूति पर जोर। 4. दार्शनिकता और शास्त्रीय ज्ञान की अपेक्षा। 5. जैन धर्म की प्रतिष्ठा। 6. नारी रूप का चित्रण । 7. भाव व्यंजना की अभिव्यक्ति। 8. रस निरूपण। 9. विरह की मार्मिक व्यंजना ...

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