?ढोला मारु रा दूहा काव्य में रस ? ◆ ढोला मारु रा दूहा’ काव्यग्रंथ में निम्नलिखित रस प्राप्त होते हैं:- ★ श्रृंगार रस :- प्रायः सम्पूर्ण काव्यग्रंथ में इस रस के दर्शन होते हैं। श्रृंगार के दोनों भेद मिलते है:- ● संयोग श्रृंगार:- इसका का वर्णन दोहा संख्या 518 से 582 तक ● विप्रलंभ श्रृंगार :- इसका का वर्णन दोहा संख्या ...
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