निर्गुण काव्यधारा की प्रवृत्तियां[Nirgun kavyadhara kee pravrttiyan] 1. निराकार ब्रह्म की उपासना निर्गुण सगुण में परे अनादि अनंत अनाम, अज्ञान ब्रह्म का नाम- जप। 2. गुरु की गुरुता के प्रति दिव्य श्रध्दा। 3. माया की व्यर्थता का प्रतिपादन। 4. संसार की असारता का निरूपण। 5. भक्ति भावना के विविध आयाम। *दास्यभक्ति, संख्य भक्ति, वात्सल्य भक्ति, शांत भक्ति,माधुर्य भक्ति। 6. सामाजिक ...
Read More »