ढोला मारु रा दूहा (राजस्थान का प्रसिद्ध लोक काव्य) • रचयिता:- कल्लोल (14-15वीं सदी) • काव्यरूप – गेय मुक्तक(प्रेम गायात्मक काव्य) • प्रमुख रस – श्रृंगार रस • भाषा – राजस्थानी • निर्माण काल – संवत् 1530(जिसका उल्लेख इसके अंतिम दोहे में) ‘‘ पनरहसे तीसै वरस,कथा कहो गुण जाण। वदि वैसाखे वार गुरु,तीज जाण सुम वाण।।’’ • पात्र :- पुरुष ...
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