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रचनाओं संबंध में आलोचकों के विचार

क्रम संख्या रचना कहा जाता है 1.         कामायानी (1935,जयशंकर प्रसाद) मानवता का रसात्मक इतिहास (आचार्य नंददुलारे वाजपेयी) मानव चेतना के विकास का महाकाव्य (डॉ. नगेंद्र) छायावाद का उपनिषद् (शांतिप्रिय द्विवेदी) मानवता का रसात्मक महाकाव्य (आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा) नए युग का प्रतिनिधि काव्य  (नंददुलारे वाजपेयी)  आधुनिक सभ्यता का प्रतिनिधि काव्य (नामवर सिंह ने कहा) रहस्यवाद का पहला महाकाव्य ...

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