नाथ साहित्य की प्रवृत्तियां(Nath Sahitya ki pravartiya) 1. हठयोग की साधना (काया साधना )पर बल । 2. साधनात्मक स्तर पर शून्यवाद की प्रतिष्ठा। 3. दर्शन के क्षेत्र में शैवमत का प्रतिपादन ।(साधनात्मक रहस्यवाद ) 4. प्रवृत्तिमूलक मार्ग के स्थान पर निवृत्ति मूलक मार्ग अपनाने पर बल। 5. वर्णाश्रम व्यवस्था पर तीखा प्रहार । 6. नारी को साधना के क्षेत्र से ...
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