🌺 कोणार्क नाटक 🌺
“कोणार्क” नाटक की कहानी 13वीं शताब्दी के ओडिशा (तत्कालीन उत्कल) में स्थापित है, जहाँ राजा नरसिंहदेव ने सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था। नाटक का प्रमुख कथानक इस मंदिर के निर्माण के समय की घटनाओं पर केंद्रित है।
◆ नाटककार :- जगदीशचंद्र माथुर
◆ प्रकाशन- 1951
◆ अंक – 3
◆ पात्र
● विशु – उत्कल राज्य का प्रधान शिल्पी और कोणार्क का निर्माता
● धर्मपद- एक प्रतिभाशाली युवक शिल्पी
● नरसिंह देव – उत्कल नरेश
● राजराज चालुक्य- उत्कल – नरेश का महात्म्य मुकुन्द – विशु का मित्र और प्रौढ़ शिल्पी
● राजीव- मुख्य पाषाण
● शैवालिक – चालुक्य का दूत
● महेन्द्रवर्मन – नरसिंहदेव का राहस्याधिकारी (भास्कर, गजाधर- अन्य शिल्पी)