जानकी वल्लभ शास्त्री का जीवन परिचय(Janaki Vallabh Shastri ka jeevan parichay)

जानकी वल्लभ शास्त्री का जीवन परिचय 

★ जन्म :- 5 फरवरी 1916 में गया (बिहार) के मैगरा ग्राम में

★ मृत्यु :-7 अप्रैल, 2011,बिहार

★ जानकी वल्लभ शास्त्री का पहला गीत ‘किसने बांसुरी बजाई’ बहुत लोकप्रिय हुआ।

★ छायावाद काल के सुविख्यात कवि आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री उन कवियों में से हैं जिन्हें कविता प्रेमियों ने काफ़ी सराहा।

★ शुरुआत में उन्होंने संस्कृत में कविताएं लिखीं। फिर महाकवि निराला की प्रेरणा से हिंदी में आए।

★ आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री कहा करते थे कि उनकी और निराला की प्रसिद्ध कविता ‘जुही की कली’ का जन्म एक ही वर्ष हुआ, यानी 1916 में। निराला ही उनके प्रेरणास्रोत रहे हैं।

★ उत्तर प्रदेश सरकार के भारत भारती पुरस्कार से सम्मानित वल्लभ शास्त्री ने मुजफ्फरपुर शहर को अपना स्थायी निवास बनाया।

★ काशी से संस्कृत की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्हें मुजफ्फरपुर के गवर्नमेंट संस्कृत कॉलेज में प्राध्यापक के पद पर स्थायी नियुक्ति मिल गई थी। इसके बाद वह रामदयालु सिंह कॉलेज में संस्कृत के साथ हिंदी के भी प्राध्यापक बनाए गए। जब उन्हें उस शहर के रेड लाइट एरिया चतुर्भुज में ज़मीन का एक टुकड़ा दिया गया, तो उन्होंने ज़माने की छींटाकशी का डर छोड़कर वहां अपना मकान बनाया।

★ साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात और बिहार की पहचान आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री बड़े ही स्वाभिमानी और अक्खड़ थे।

★ उन्होंने गांधी सेतु पटना के उद्घाटन के अवसर पर दिए जाने वाले राजभाषा पुरस्कार को अस्वीकृत किया तो अपने जीवन के दसवें दशक में भारत सरकार के द्वारा पद्मश्री प्रदान करने पर कहा था कि इस उम्र में यह सरकारी झुनझुना लेकर क्या करूंगा।

★ आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री का आवास निराला निकेतन हिंदी जगत में साहित्य तीर्थ के रूप में जाना जाता है। पूरे देश से साहित्यकारों-कलाकारों का आना-जाना लगा रहता था।

★ जानकी बल्लभ शास्त्री ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ‘किसने बांसुरी बजाई’ की लोकप्रियता को सुनने के बाद पृथ्वीराज मुंबई से ख़ुद उनसे मिलने आए थे। यही नहीं उन्होंने पृथ्वीराज की याद में अपने घर के उस कमरे का नाम भी पृथ्वीराज रख दिया।

★ उन्होंने निराला जी से अपनी पहली मुलाक़ात के बारे में बताया था कि जब मैंने महज 18 साल की उम्र में आचार्य की डिग्री हासिल कर ली और ये ख़बर जब अखबारों में छपी तो लखनऊ से निराला जी ढूंढते हुए बनारस पहुंचे और उनसे मिलें। उन्हीं से प्रभावित होकर उन्होंने अपने घर का नाम भी ‘निराला निकेतन’ रखा।

◆ इनकी प्रमुख काव्य संग्रह :-
1. रूप-अरूप
2. तीर तरंग
3. शिवा
4. मेघ-गीत
5. अवंतिका
6. कानन
7. अर्पण

★ जानकी बल्लभ को कई उपाधियों से सम्मानित किया गया, जिनमें साहित्य वाचस्पति, ‘विद्यासागर, ‘काव्य-धुरीण तथा ‘साहित्य मनीषी आदि हैं।

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