🌺नागमती में ऊहात्मकता शैली🌺
🌺ऊहात्मकता शैली 🌺
◆ विरह वर्णन में फारसी मनस्वियों की शैली प्रायः ऊहात्मक हो जाती है।
◆ ऊहात्मकता का अर्थ हैं :- विरह का ऐसा अतिश्योक्तिपूर्ण वर्णन जो असामान्य होने के साथ-साथ कहीं-कहीं वीभत्स सा होने लगे।
◆ नागमती के विरह वर्णन में जायसी ने ऊहात्मकता का सहारा तो लिया है किंतु उसे कहीं भी मजाक का विषय नहीं बनने दिया है।
◆ विरह की अधिकता के लिये उन्होंने अतिश्योक्तिपूर्ण उपमान दिये।
◆ “जायसी – का विरह वर्णन कहीं-कहीं अत्युक्तिपूर्ण होने पर भी मजाक की हद तक नहीं पहुंचने पाया है, उसमें गांभीर्य बना हुआ है। उनकी अत्युक्तियाँ बात की करामात नहीं जान पड़ती, हृदय की अत्यंत तीव्र वेदना के शब्द संकेत प्रतीत होती है।”(ऊहात्मकता के सम्बन्ध में रामचंद्र शुक्ल का कथन )