?? बकरी नाटक प्रश्नोत्तरी(bakari natak Quiz)??
1. बकरी नाटक के रचयिता कौन है?
(A) सुमित्रानंदन पंत
(B) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ?
(C) भारतेन्दु हरिश्चंद्र
(D) हबीब तनवीर
2. बकरी नाटक का प्रकाशन कब हुआ?
(A) 1974?
(B) 1945
(C) 1933
(D) 1955
?प्रकाशन :- 1974 ई.
3. बकरी नाटक के संबंध में कौनसा कथन सही नही है?
(A) यह एक प्रतीकात्मक नाटक है।
(B) इस नाटक के दो अंक और 4 दृश्य है।?
(C) इस नाटक की शैली ‘प्रतीकात्मक और व्यंग्यात्मक’ है।
(D) बकरी गरीब जनता का प्रतीक है।
? इस नाटक के दो अंक और 6 दृश्य ( प्रत्येक अंक में 3 दृश्य) है।
★ नाटक की शैली:- प्रतीकात्मक और व्यंग्यात्मक
4. बकरी नाटक में किसकी बकरी चोरी होती है?
(A) सत्यवीर
(B) विपती?
(C) दुर्जन सिंह
(D)चाचा राम
? विपती :- एक गरीब स्त्री जिसकी बकरी चोरी होती है।
◆ नाटक के पात्रः-
1. नट और नटी
2. भिश्ती
3. दुर्जन सिंह
4. कर्मवीर सिंह5. सत्यवीर
6. विपती( एक गरीब स्त्री जिसकी बकरी चोरी होती है)
7. सिपाही
8. काका – काकी9. चाचा राम
10. एक ग्रामीण
11. दूसरा ग्रामीण
12. युवक
5. बकरी नाटक में कौनसी विशेषता चित्रण नही है?
(A)आम आदमी के पीड़ा का चित्रण
(B) समकालीन राजनीति की कुरूपता पर व्यंग्य
(C)भ्रष्टाचार और विसंगतियों का चित्रण
(D) विदेशी आक्रमण का चित्रण?
◆ नाटक का विषय :
★ आम आदमी के पीड़ा का चित्रण
★ भ्रष्टाचार और विसंगतियों का चित्रण
★ युवा वर्ग का आक्रोश
★ व्यवस्था के प्रति आक्रोश
★ समकालीन राजनीति की कुरूपता पर व्यंग्य
6. बकरीनाटक का सर्वप्रथम मंचन किस स्थान पर हुआ?
(A) उत्तरप्रदेश
(B) हिमाचल प्रदेश
(C) छतीसगढ़
(D) नई दिल्ली?
? नाटक के प्रकाशनोद्घाटन के अवसर पर ‘जन नाट्य मंच’ द्वारा 13 जुलाई 1974 को त्रिवेणी कला संगम, नई दिल्ली की उद्यान रंगशाला में आयोजित ।
7. “इस बकरी ने हमेशा दिया है। आपको आजादी एकता दी, प्रेम दिया। आज भी बहुत कुछ देने को मुंतजिर है।” बकरी नाटक में यह कथन किसने कहां है?
(A) सत्यवीर
(B) विपती
(C) दुर्जन सिंह?
(D)चाचा राम
? “इस बकरी ने हमेशा दिया है। आपको आजादी एकता दी, प्रेम दिया। आज भी बहुत कुछ देने को मुंतजिर है।”(दुर्जन का कथन )
8. बकरी नाटक में गाँधीजी की बकरी कीमत क्या है?
(A) 20 रूपये
(B) अमूल्य
(C) 50 रूपये
(D) 55 करोड़?
? नाटक में गाँधी जी की बकरी का परिचय “यह पचपन करोड़ की बकरी है बीस रूपये की नहीं ।”
9. “लोकतन्त्र जिन्दाबाद जिन्दाबाद” बकरी नाटक में यह गीत कौन गा रहा था?
(A) सत्यवीर
(B) नटी
(C) दुर्जन सिंह
(D) नट?
? “लोकतन्त्र जिन्दाबाद जिन्दाबाद” (नट का गीत)
10. “बकरी हमको बना दिया।
बकरी की मे- मे ने
सब कुछ सहना सिखला दिया।
बकरी की मे- मे ने।” बकरी नाटक में यह गीत कौन गा रहा था?
(A) सत्यवीर
(B) नटी
(C) दुर्जन सिंह?
(D) नट
? बकरी हमको बना दिया।
बकरी की मे- मे ने
सब कुछ सहना सिखला दिया।
बकरी की मे- मे ने।(दुर्जन गीत गुनगुने हुये)
11. बकरी नाटक में कौनसा पात्र चोर नही है?
(A) सत्यवीर
(B) चाचा राम?
(C) दुर्जन सिंह
(D) कर्मवीर
★ बकरी नाटक में तीन डकैत दुर्जन सिंह, कर्मवीर और सत्यवीर की कहानी है। जिन्हें एक दिन भिश्ती का एक गीत बकरी को क्या पता था, मशक बनकर रहेगी सुनकर एक तरकीब सूझती है।
◆ ‘बकरी’ नाटक में तीन डाकू एक सिपाही और एक गरीब औरत पात्रों के रूप में प्रस्तुत किये हैं ।
12. बकरी नाटक का कौनसा पात्र दुनिया को चारागाह समझता है?
(A) सत्यवीर
(B) चाचा राम
(C) दुर्जन सिंह?
(D) कर्मवीर
? नाटक का दुर्जनसिंह पात्र दुनिया को चरगाह समझता है, पर शोषितों के अन्दर की आग को वह नहीं देख पाता ।
13. बकरी नाटक के अनुसार कौनसा प्रतीक सही नही है?
(A) सत्यवीर,कर्मवीर और दुर्जन सिंह – आधुनिक नेता के प्रतीक
(B) विपती :- अनपढ़ और गरीब ग्रामीण स्त्री
(C) सिपाही :- गरीब और असाहय का रक्षक का प्रतीक?
(D) बकरी :- सभी कामनाएँ पूर्ण करनेवाली कामधेनु और सभी दुःखों को दूर करनेवाली देवी का प्रतीक
? सिपाही :-आधुनिक नेता का रक्षक का प्रतीक
★ दुर्जन कर्मवीर और सत्यवीर आधुनिक नेताओं के प्रतीक है तो सिपाही उनका मात्र रक्षक है।
★ बकरी के माध्यम से भारत में अनपढ़ ग्रामीणों के मन में देवी-देवताओं और महापुरुषों से जुड़ी किसी भी वस्तु के प्रति अविवेक पूर्ण अंधश्रद्धा पर व्यंग्य किया गया है।
★ बकरी’ नाटक में बकरी उस गरीब और निरीह जनता का प्रतीक है, जिससे तथाकथित गांधीवादी नेता पहले पैसा दुहते हैं, फिर वोट दुहते हैं और फिर कुर्सी।
★ अपने खिलाये फूलों से भी कुछ न कहेगी
उसके ही खूँ के रंग से इतरायेगा गुलाब ।
★ जा मेरी तेरी नापटनी
कैसे बनाई चटनी
गाल बजाया पेट बजाया
जबसे हुई छंटनी, जा तेरी मेरे ना पटनी
कैसी अमीरी, कैसे, गरीबी
प्यारी लगे नटनी, जा तेरी मेरी ना पटनी ।
★ गोली बोले धायं-धांय
जनता बोले कांय काय
नेता बोले भांय भांय हर गली में सांय सांय
तुझसे है यही मेरी फरियाद”
★सुबह ओ शाम बोलेगा
मजा तुम से ये मिमिया कर हमारे जा नहीं सकते।
हमारी गली से दीवान जी जाना न तुम आकर।( दुर्जन का गाता है)
★ तमाम ह्विस्की तमाम रम
मिला करे प्रभु जनम जनम
हो संग कलेजी गरम गरम
ओ’ एक वाला नरम नरम।
(सिपाही दुर्जन यह शायरी कहता है )
★ जिसकी लेते हैं शरण उसको ही खा जाते हैं
लोग,
जिसका थामा हाथ, उसका ही लगा जाते हैं भोग,
मुह से निकला नाम, जैसे पेट से निकली डकार,
(नट गायन)
★ मंजीरा ढोल बजाओ
चलो कुछ नाचो आओ
दिखाओ कर रहे हैं धंधा हम भी पेट का।। (नटी ने नट से कहा)
★ जिस धूल से शहरों में मची रंगरेलिया
चित छप्परों के बल पे खडी हैं हवेलिया
उस आदमी को आदमी को मानते नहीं
जब काम निकल जाता है पहचानने नहीं।
(नट का गायन)
★ दिन में दो रोटी के हों जब देश में लाले पड़े हो सभी खामोश सब की जबा पर ताले पड़े।
दिल दिमाग ओ आत्मा पर इस कदर जाले पड़े, सूखे की शतरंज नेता खेलें दिल काले पड़े ।
तोद अड़ियल पिचके पेटो पर चलाए गोलिया
हर तरफ फिर न निकलें क्रांतिकारी टोलिया, फिर बताओ किस तरह खामोश बैठा जाए है अब तो खौले खून रह-रह कर जबा पर आए है बहुत हो चुका अब हमारी है बारी,
बदलके रहेंगे ये दुनिया तुम्हारी। (नट -नटी का अन्तिम गायन)
बकरी नाटक (Bakri Natak)
? पढ़ना जारी रखने के लिए यहाँ क्लिक करे।