गद्य विधाए

हिन्दी की प्रमुख पत्र – पत्रिकाओं का परिचय(hindi ki pramukh patr – patrikaon ka parichay)

◆ सर्वप्रथम भारत में प्रिंटिग प्रेस लाने का श्रेय पुर्तग़ालियों को दिया जाता है। ◆ भारत में सबसे पहले प्रेस :- गोवा में (जनवरी,1556 -57 ई.) (यह प्रेस पुर्तगाल से अबीसीनिया के लिए भेजा गया था। उन दिनों में स्वेज नहर नहीं बनी थी और अबीसीनिया के लिए भारत होकर जाना पड़ता था। अबीसीनिया के लिए मनोनीत पेट्रिआर्क प्रेस के ...

Read More »

गैंग्रीन / रोज़ कहानी(gaingreen/roz kahani)

• कथाकार :- अज्ञेय • कहानी का संकलन :- विपथगा कहानी संग्रह में • प्रकाशन :- 1990 में, (नेशनल पब्लिशिंग हॉउस, दिल्ली से ) • इस कहानी सर्वप्रथम गैंग्रीन नाम से प्रकाशित हुआ लेकिन बाद में इसका शीर्षक बदलकर रोज़ कर दिया। • कहानी तीन भागों में ★ प्रथम भाग में :- मालती की बाह्य स्थिति   ★ दूसरे भाग में :- मालती के मनः स्थिति का चित्रण ★ ...

Read More »

मैला आँचल उपन्यास के पात्रों का महत्वपूर्ण कथन(maila aanchal upanyaas ke Patro ka mahatvapoorn kathan)

1. डॉ.प्रशान्त का कथन:- • “दिल नाम की कोई चीज आदमी के शरीर में है,हमें नहीं मालूम। पता नहीं आदमी लंग्स को दल कहता है या हॉट को। जो भी हो हार्ट ,लंग्स,लीवर का प्रेम से कोई संबंध नहीं है।” • “क्या करेगा वह संजीवनी बूटी खोजकर ? उसे नही चाहिए संजीवनी। भूख और बेबसी से छटपटाकर मरने से अच्छा ...

Read More »

मैला आँचल उपन्यास के पात्रों का परिचय ( maila aanchal upanyas ke Patron ka parichay )

★ पुरुष पात्र (प्रमुख) :- 1. तहसीलदार विश्वनाथ प्रसाद 2. डॉ. प्रशांत कुमार 3. ठाकुर रामकिरपाल सिंघ 4. महंत सेवादास 5. महंत रामदास 6. कालीचरण 7. बालदेव 8. सुमरितदास 9. चलित्तर कर्मकार 10. जोतखी(ज्योतिषा) 11. खिलावन सिंह यादव 12. बावन दास(बौनदास) ★ स्त्री पात्र (प्रमुख) :- 1. कमली(कमला) 2. लछमी 3. फुलिया 4. रामपियरिया 5. ममता   ★ पुरुष पात्र ...

Read More »

मैला आँचल उपन्यास का सारांश और उद्देश्य( maila aanchal upanyas ka saraansh aur uddeshy)

• प्रकाशन:- अगस्त, 1954ई . समता प्रकाशन, पटना से • उपन्यासकार :- फणीश्वरनाथ रेणु • कुल पृष्ठ :- 250 • कुल खण्ड :- 2 • कुल परिछेद : 67 • उपन्यास की कथा भूमि उत्तरी बिहार का पूर्णिया अंचल है और कथाकाल आजादी के कुछ बरस बाद का। • पहले खंड में :- स्वतंत्रतापुर्ण के गांव का चित्रण। • द्वितीय ...

Read More »

त्यागपत्र उपन्यास के पात्रोंं का महत्वपूर्ण कथन(tyagpatr upanyas ke patro ka mahatvapoorn kathan)

1. मृणाल के कथन :- • “मैं नहीं बुआ होना चाहती। बुआ। छीः देख, चिड़िया कितनी ऊंची उड़ जाती है। मैं चिड़िया होना चाहती हूं।” • “तुम सब लोगों के लिए मैं पराई हूं, तेरी मां ने मुझे धक्का देकर पराया बना दिया है।” • “कन्या जाति क्या अपने पिता के घर ही होती है? मैं कोई निराली जनमी हूं?” ...

Read More »

त्यागपत्र उपन्यास के पात्रोंं का परिचय(tyagpatr upanyas ke patro ka parichay

• त्यागपत्र उपन्यास के पात्र 1. प्रमोद 2. मृणाल(प्रमोद की बुआ) 3. प्रमोद के पिता 4. प्रमोद के माता 5. शीला (मृणाल की सहेली) 6. शीला का भाई ( मृणाल का प्रेमी) 7. प्रमोद के फूफा 8. कोयले वाला बनिया 9. राजनंदनी 1. प्रमोद का परिचय • प्रमोद के पिता प्रतिष्ठा वाले थे। • प्रमोद की माता अत्यंत कुशल ग्रहणी। ...

Read More »

त्यागपत्र उपन्यास का सारांश और उद्देश्य(tyagapatr upanyas ka saransh aur uddeshy)

◆ जैनेंद्र का तीसरा उपन्यास ◆ प्रकाशन वर्ष:- 1937 ई. ◆ मुंबई से निकलने वाली हिंदी ग्रंथ रत्नाकर के लिए उसके संपादक प्रेमीजी के अनुरोध पर लिखा गया था । ◆ 1965 में अभिनंदन समारोह में त्यागपत्र का नाट्य रूपांतर का मंचन भी हुआ था। ◆ आत्मकथात्मक शैली में लिखा हुआ बहुत ही मार्मिक और संवेदनशील उपन्यास। ◆ त्यागपत्र उपन्यास ...

Read More »

बाणभट्ट की आत्मकथा के पात्रों का महत्वपूर्ण कथन

1. बाणभट्ट के प्रमुख कथन:- • “निपुणिका बहुत अधिक सुंदर नहीं थी। उसका रंग अवश्य शेफालिका के कुसुमनाल के रंग से मिलता था परंतु उसके की सबसे बड़ी चारुता संपत्ति उसकी आंखें और अंगुलियां की थी।अंगुलियां को मैं बहुत महत्वपूर्ण सौदर्योपादान समझता हूं । नटी की प्रणामांजलि और पताक मुद्राओं को सफल बनाने में पतली छरहरी अंगुलियां अद्भुत प्रभाव डालती ...

Read More »

बाणभट्ट की आत्मकथा के पात्रों का परिचय(banbhatt ki aatmakatha ke patro ka parichay)

◆ पुरुष पात्र :- 1. बाणभट्ट :- ◆ बाणभट्ट का परिचय ◆ • मगध प्रदेश के प्रख्यात वात्स्यायन वंश      से उत्पन्न हुआ था। • बाणभट्ट की पिता :- चित्रभानु भट्ट एक     उद्भट पंडित  • मूल नाम:- दक्ष भट्ट • चचेरा भाई का नाम :- उड्डपति • पंडित वात्स्यायन वंशी जयंत भट्ट के     पौत्र • अल्पायु में ...

Read More »

बाणभट्ट की आत्मकथा का उद्देश्य(banbhatt ki aatmakatha ka uddeshy)

• प्रकाशन :- 1946 ई. • उपन्यासकार :- आ. हजारीप्रसाद द्विवेदी • संपूर्ण उपन्यास 26 उच्छ्वासों में विभक्त है। • उपन्यास के आरंभ में लिखा गया है – “अथ बाणभट्ट की आत्मकथा लिख्यते।” • बाणभट्ट की आत्मकथा सातवीं शताब्दी का समग्र चित्रण प्रस्तुत करता है। • यह आत्मकथा डायरी शैली में लिखी गई है। • आत्मकथा में अतीत की स्मृतियां ...

Read More »

गोदान उपन्यास का उद्देश्य(godan upanyas ka uddeshy)

?  गोदान उपन्यास (मुंशी प्रेमचंद) ? ◆ प्रकाशन वर्ष :- 1936ई. ◆ भाग :- 36 ◆ आर्दशवाद और यथार्थवाद का समन्वय ◆ इसमें भारतीय किसान की  जीवन – गाथा अत्यंत हृदयस्पर्शी ढंग से वर्णित है। ◆ किसान जीवन की समस्याओं,दुःखों और त्रासदियों पर  लिखा गया महाकाव्य। ◆ इसमें गांव और शहर के आपसी द्वंद, भारतीय ग्रामीण जीवन के दुःख, गांवों ...

Read More »

गोदान के पात्रों का महत्वपूर्ण कथन( mahatvapoorn kathan)

                        ◆ महत्वपूर्ण कथन ◆ 1. होरी का कथन :- ●  “जब अपनी गर्दन दूसरों के पैरों के तले दबी हो तो उन पैरों को सहलाने में कुशल है।” ● “हमारा जन्म इसलिए हुआ है कि अपना रक्त बहाए और बड़ों का घर भरे।” ● “हम लोग समझते हैं ...

Read More »

गोदान के पात्रों(Godan ke patro) का परिचय

? गोदान के प्रमुख पात्र  1. होरी 2. रायसाहब अमरपाल सिंह 3. प्रोफ़ेसर मेहता 4. गोबर 5. पंडित दातादीन 6. धनिया 7. मालती 8.  झुनिया 9.  गोविंदी [  ] गौण पात्र :- 1.  भोला 2.  हीरा 3.  शोभा 4.  सोना 5. रूपा 6. पंडित ओकार नाथ 7. श्याम बिहारी तंखा 8. मिस्टर खन्ना 9. सरोज 10.  मिर्जा खुर्शेद 11. पण्डित ...

Read More »

महत्वपूर्ण निबंधों की शॉर्ट ट्रिक(mahatvapoorn nibandhon ki Short Trick )

          ◆ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ◆ • Short trick :- भारतेन्दु को एक अद्भूत अपूर्व स्वप्न आया जिसमें स्वर्ण में विचारसभा का अधिवेशन हो रहा था। अधिवेशन में पाँचवे पैगम्बर और ईश्वर विलक्षण था। 1. एक अद्भूत अपूर्व स्वप्न 2. स्वर्ण में विचार सभा का अधिवेशन 3. पाँचवां पैगम्बर 4. ईश्वर का बड़ा विलक्षण है     ...

Read More »
error: Content is protected !!