?? अंधेर नगरी नाटक प्रश्नोत्तरी ??
1. अंधेर नगरी नाटक कब प्रकाशित हुआ?
(A) 1881 ई. ?
(B) 1888 ई.
(C) 1884 ई.
(D) 1880 ई.
?प्रकाशन :- 1881 ई.
2. अंधेर नगरी नाटक के संबंध में कौनसा कथन सत्य नही है?
(A) इस नाटक के पांच अंक और छह दृश्य है। ?
(B) इस नाटक की शैली हास्य-व्यंग्य शैली।
(C) भारतेंदु ने इस नाटक को एक ही रात में लिखकर पूरा किया।
(D) नाटक की रचना बिहार के रजवाड़े में की गई है।
?अंक :- 6 अंक और 6 दृश्य
● शैली:- हास्य-व्यंग्य
● एक प्रकार का प्रहसन
● आधार नाटक की रचना बिहार के रजवाड़े की गई है।
3.अंधेर नगरी नाटक की कौनसी विषय वस्तु है?
(A) न्याय व्यवस्था की विसंगति
(B) बाजार विज्ञापनों के जरिए कुरुपता का चित्रण
(C) आंतरिक कूटनीतियों का चित्रण ?
(D) अंग्रेजों के समय के समाजिक और व्यवसायिक स्थिति का चित्रण
? आंतरिक कूटनीतियों का चित्रण ?(चन्द्रगुप्त नाटक की विषय वस्तु)
◆ अंधेर नगरी नाटक का विषय :-
★ मूल्यहीन, अमानवीय और अराजक व्यवस्था प्रणाली का चित्रण
★ न्याय व्यवस्था की विसंगति
★ सामाजिक विकृति का चित्रण
★ अंग्रेजों के समय के समाजिक और व्यवसायिक स्थिति का चित्रण
★ अंग्रेजी शासन की दुरव्यवस्था और न्याय के ढोंग का पर्दाफाश
★ बाजार विज्ञापनों के जरिए कुरुपता का चित्रण
★ जन चेतना को जगाया
★ मूल्यहीन शासन व्यवस्था ज्ञान और अज्ञान की टकराहट
4. अंधेर नगरी नाटक से पात्रों के संबंधित कौनसा कथन सही नही है?
(A) महंत के दो शिष्य नारायणदास और
गोबरधनदास है।
(B) महंत का लोभी शिष्य नारायणदास है।?
(C) मुगल बाजार का पात्र है।
(D) कल्लू कारागीर नगर का पात्र है।
● महंत (नारायणदास और गोबरधनदास के गुरु)
● नारायणदास, (महंत का शिष्य)
● गोबरधनदास, (महंत का लोभी शिष्य)
● मुगल (मेवे बेचने वाला) :-बाजार का पात्र
5. अंधेर नगरी नाटक के संबंध में निम्नलिखित में से कौनसा पात्र सुमेलित है?
(A) कबाबवाला :- मसाला बेचने वाला?
(B) कुंजड़िन:- चना बेचने वाला
(C) घासीराम :- सब्जी बेचने वाली
(D) पाचकवाला :- मेवे बेचने वाला
● मुगल :- मेवे बेचने वाला
● घासीराम :- चना बेचने वाला
● कुंजड़िन :- सब्जी बेचने वाली
● पाचकवाला :- चूरन विक्रेता
● कबाबवाला :–मसाला बेचने वाला
● जातवाला :- जाति बेचने वाला
6. अंधेर नगरी नाटक की दृश्य योजना अनुसार क्रम सही कौनसा है?
(A) बाह्यप्रांत- बाजार- जंगल- अरण्य- राजसभा – श्मशान
(B) बाह्यप्रांत- बाजार- राजसभा- जंगल-अरण्य – श्मशान
(C) बाह्यप्रांत – जंगल- बाजार – राजसभा – अरण्य – श्मशान
(D) बाह्यप्रांत- बाजार- जंगल- राजसभा- अरण्य – श्मशान?
★ नाटक की दृश्य योजना :-
Trick :- प्रांत से बाजारा अरण्य की शाम को लेकर आना
1. पहला अंक :- बाह्य प्रांत
2. दुसरा अंक :- बाजार
3. तीसरा अंक :- जंगल
4. चौथा अंक :- राजसभा
5. पांचवां अंक :- अरण्य
6. छठा अंक :- श्मशान
7. अंधेर नगरी नाटक में ‘राजसभा’ का दृश्य किस अंक का है?
(A) पहला अंक
(B) तीसरा अंक
(C) चौथा अंक?
(D) छठा अंक
1. पहला अंक :- बाह्य प्रांत
2. दुसरा अंक :- बाजार
3. तीसरा अंक :- जंगल
4. चौथा अंक :- राजसभा
5. पांचवां अंक :- अरण्य
6. छठा अंक :- श्मशान
8. “ले हिन्दुस्तान का मेवा फूट और बैर” अंधेर नगरी नाटक से यह किसने कहा?
(A) कबाबवाला
(B) कुंजड़िन?
(C) घासीराम
(D) पाचकवाला
?ले धनिया मेथी-सोआ पालक चौराई बथुआ करेमू
नोनियाँ कुलफा कसारी चना सरसों का साग । मरसा ले मरसा। ले बैगन लौआ कोहड़ा आलू अरुई बण्डा नेनुआ सूरन रामतरोई मुरई। ले आदी मिरचा लहसुन पियाज टिकोरा । ले फालसा खिन्नी आम अमरूद निबुआ मटर होरहा। जैसे काजी वैसे पाजी। रैयत राजी टके सेर भाजी । ले हिन्दुस्तान का मेवा फूट और बैर
(दुसरे अंक से ,कुँजड़िन गीत गाता है)
9. “राम के नाम से घास जंगल की,
तुलसीदास भय भजि रघुराई ।” यह पंक्ति किसकी है?
(A) तुलसीदास
(B) वल्लभाचार्य
(C) भारतेन्दु हरिश्चंद्र?
(D) अमृतलाल नागर
? राम भजो राम भजो राम भजो भाई ।
राम के भजे से गनिका तर गयी,
राम के भजे से गीध गति पायी।
राम के नाम से काम बनै सब,
राम के भजन बिनु सबहि नसाई ।
राम के नाम से दोनों नयन बिनु,
सूरदास भए कबिकुल राई ।
राम के नाम से घास जंगल की,
तुलसीदास भय भजि रघुराई ।
(प्रथम अंक से ,महन्त जी दो चेलों के साथ गाते हैं)
10. “लोभ पाप का मूल है, लोभ मिटावत मान । लोभ कभी नहिं कीजिये, या मैं नरक निदान।। ”
अंधेर नगरी नाटक से यह किसने कहा?
(A) नारायणदास
(B) गोबरधनदास
(C) मंहत?
(D) राजा
?बहुत लोभ मत करना । देखना, हाँ— लोभ पाप का मूल है, लोभ मिटावत मान । लोभ कभी नहिं कीजिये, या मैं नरक निदान।। (प्रथम अंक, महंत )
11. “खाय सो होंठ चाटै, न खाय सो जीभ काटै।”अंधेर नगरी नाटक में इस पंक्ति के माध्यम से बाजार में क्या बेच रहा है?
(A) मसाला ?
(B) मिठाई
(C) सब्जी
(D) मेवा
? कबाब गरमागरम मसालेदार – चौरासी मसाला
बहत्तर आँच का – कबाब गरमागरम मसालेदार-
खाय सो होंठ चाटै, न खाय सो जीभ काटै । कबाब लो, कबाब का ढेर – बेचा टके सेर।
(दुसरे अंक से ,कबाबवाला गाता है)
12. अंधेर नगरी नाटक में चना कौन बेच रहा था?
(A) कबाबवाला
(B) कुंजड़िन
(C) घासीराम?
(D) मुगल
13. अंधेर नगरी नाटक में घासीराम के अनुसार
चना कौन – कौन खाता है?
(A) तौकी और मैना’।
(B) गफूरन और मुन्नी
(C) बंगाली,मियाँ जुलाहे और हाकिम
(D) उपरोक्त सभी
?. चने जोर गरम –
चने बनावै घासी राम।
जिनकी झोली में दूकान ।।
चना चुरमुर चुरमुर बोलै ।
बाबू खाने को मुँह खोलै॥
चना खावै तौकी, मैना’।
बोलैं अच्छा बना चबैना ।।
चना खायँ गफूरन’, मुन्नी’ ।
बोलैं और नहीं कुछ सुन्ना।।
चना खाते सब बंगाली।
जिनकी धोती ढीली ढाली ।।
चना खाते मियाँ जुलाहे ।
डाढ़ी हिलती गाह बगाहे ।।
चना हाकिम सब जो खाते।
सब पर दूना टिकस लगाते।।
चने जोर गरम —टके सेर।
(दुसरे अंक से ,घासीराम गीत गाता है)
14. ‘ ऐसी जात…… जिसके छत्तीस कौम हैं भाई।’ अंधेर नगरी नाटक के अनुसार रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।
(A) ब्राह्मण
(B) धोबी
(C) हलवाई?
(D) मुसलमान
? जलेबियाँ गरमागरम ले सेब इमरती लड्डू गुलाबजामुन खुरमा बुन्दिया बरफी समोसा पेड़ा कचौड़ी दालमोट पकौड़ी घेवर गुपचुप । हलुवा ले हलुआ मोहनभोग। मोयनदार कचौड़ी कचाका हलुआ नरम चभाका’। घी में गरक, चीनी में तरातर, चासनी में चभाचभ ले भूर का लड्डू। जो खाय सो भी पछताय, जो न खाय सो भी पछताया। रेवड़ी कड़ाका पापड़ पड़ाका । ऐसी जात हलवाई जिसके छत्तीस कौम हैं भाई। जैसे कलकत्ते के विलसन, मन्दिर के भितरिए, वैसे अन्धेर नगरी के हम। सब सामान ताजा। खाजा ले खाजा टके सेर खाजा ।
(दुसरे अंक से ,हलवाई वाला गीत गाता है)
15. “आमारा ऐसा मुल्क जिसमें अंगरेज का भी दाँत कट्टा ओ गया। नाहक को रुपया खराब किया। बेवकूफ बना ।”अंधेर नगरी नाटक से यह किसने कहा?
(A) कबाबवाला
(B) कुंजड़िन
(C) घासीराम
(D) मुगल?
? बादाम पिस्ते अखरोट अनार बिहीदाना मुनक्का
किशमिश अंजीर आबजोश’ आलूबोखारा चिलगोजा
सेब नाशपाती बिही सरदा’ अंगूर का पिटारी । आमारा ऐसा मुल्क जिसमें अंगरेज का भी दाँत कट्टा ओ गया। नाहक को रुपया खराब किया।
बेवकूफ बना । हिन्दोस्तान का आदमी लकलक
हमारे यहाँ का आदमी बुंबुक बुंबुक। लो सब
मेवा टके सेर ।
(दुसरे अंक से ,मुगल गीत गाता है)
16.अंधेर नगरी नाटक में पाचकवाला के अनुसार चूरन कौन – कौन खाता है?
(A) कृष्ण मुरारी और श्याम सलोना
(B)अमले और नाटकवाले
(C)महाजन और एडिटर
(D) उपरोक्त सभी
? चूरन अमलबेत का भारी ।
जिसको खाते कृष्ण मुरारी ।।
मेरा पाचक है पचलोना।
जिसको खाता श्याम सलोना।।
चूरन बना मसालेदार।
जिसमें खट्टे की बहार।।
मेरा चूरन जो कोई खाय।
मुझको छोड़ कहीं नहिं जाय।।
हिन्दू चूरन इसका नाम।
बिलायत चूरन इसका काम।।
चूरन जब से हिन्द में आया।
इसका धन बल सभी घटाया।
चूरन ऐसा हट्टा-कट्टा ।
कीना दाँत सभी का खट्टा।।
चूरन चला दाल की मण्डी।
इसको खायेंगी सब रण्डी ।।
चूरन अमले सब जो खावैं।
दूनी रिश्वत तुरत पचावैं ।।
चूरन नाटकवाले खाते।
इसकी नकल पचाकर लाते ।।
चूरन सभी महाजन खाते।
जिससे जमा हजम कर जाते ।।
चूरन खाते लाला लोग।
जिसको अकिल अजीरन रोग।।
चूरन खावैं एडिटर जात ।
जिनके पेट पचै नहिं बात ।।
चूरन साहेब लोग जो खाता।
सारा हिन्द हजम कर जाता।।
(दुसरे अंक से ,पाचकवाला गीत गाता है)
17. “सेत सेत सब एक से, जहाँ कपूर कपास।
ऐसे देस कुदेस में, कबहुँ न कीजै बास ।” अंधेर नगरी नाटक से यह किसने कहा?
(A) नारायणदास
(B) गोबरधनदास
(C) मंहत?
(D) राजा
? सेत सेत सब एक से, जहाँ कपूर कपास।
ऐसे देस कुदेस में, कबहुँ न कीजै बास ।।
कोकिला वायस’ एक सम, पण्डित मूरख एक। इन्द्रायन दाड़िम’ विषय, जहाँ न नेकु विवेक ।। बसिये ऐसे देस नहिं, कनक-वृष्टि जो होय । रहिये तो दुख पाइये, प्रान दीजिये रोय ।।
( महन्त का दोहा)
18.”अन्धेर नगरी अनबूझ राजा ।
टका सेर भाजी टका सेर खाजा ।।”
अंधेर नगरी नाटक से यह किसने कहा?
(A) नारायणदास
(B) गोबरधनदास?
(C) मंहत
(D) राजा
?अन्धेर नगरी अनबूझ राजा ।
टका सेर भाजी टका सेर खाजा ।।
नीच ऊँच सब एकहि ऐसे।
जैसे भँडुए पण्डित तैसे।।
कुल- मरजाद न मान बड़ाई।
सबै एक से लोग-लुगाई ।।
जात-पाँत पूछे नहिं कोई ।
हरि को भजै सो हरि को होई ।।
बेश्या जोरू एक समाना।
बकरी गऊ एक करि जाना ।।
साँचे मारे मारे डोलैं।
छली दुष्ट : सिर चढ़ि चढ़ि बोलें ।।
प्रगट सभ्य अन्तर छलधारी ।
सोई राजसभा बल भारी ।।
साँच कहैं. ते पनही खावैं ।
झूठे बहु बिधि पदवी पावैं ।।
छलियन के एका के आगे।
लाख कहौ एकहु नहिं लागे ।।
भीतर होइ मलिन की कारो।
चहिए बाहर रंग चटकारो।।
धर्म अधर्म एक दरसाई।
राजा करे सो न्याव सदाई ।।
भीतर स्वाहा बाहर सादे ।
राज करहिं अमले अरु प्यादे ।।
अन्धाधुन्ध मच्यौ सब देसा।
मानहुँ राजा रहत विदेसा।।
(पाँचवाँ अंक से,गोबरधनदास गीत गाते हैं)
अंधेर नगरी नाटक (Andher Nagri Natak)
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