दलित उपन्यास की विशेषताएं:-
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दलित उपन्यास में विद्रोह स्वर दिखाई देता है।
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दलित उपन्यासों में अराजकता और अत्याचार को दिखाया जाता है।
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दलित उपन्यासों में सामाजिक स्थिति का पता चलता है।
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दलित उपन्यास भीमराव अंबेडकर के मौलिक विचार प्रभावित है।
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दलित उपन्यासों में कल्पना का समावेश नहीं होतीहै।
क्रम संख्या |
दलित उपन्यास |
उपन्यासकार |
1. |
छप्पर (1997) |
जयप्रकाश कर्दम |
2. |
जस- तस भई सवेरे(1998) |
सत्य प्रकाश |
3. |
दोहरा अभिशाप |
कौसल्या बैसंत्री |
4. |
अमर ज्योति |
डी.पी. वरूण |
5. |
मिट्टी की सौगंध (1995) |
प्रेम कपाड़िया |
6. |
मुक्तिपर्वक्या मुझे खरीदोगेंआज बाजार बंद है |
मोहनदास नैमिशराय |
7. |
पहला खत |
डॉ धर्मवीर |
8. |
भूखी चिनगारी की जानकारी के लाल मुस्कराहट |
बलवंत सिंह |
9. |
काला पहाड़ |
भगवान दास |
10. |
थमेगा नहीं विद्रोह(2008) |
उमराव सिंह |
11. |
उधर के लोग (2008) |
अजय नावरि |
12. |
धन धरतीएक स्वप्नदर्शी की मौतहमलावर(2013)
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विपिन बिहारी
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13. |
डंक(2009)सुअर दान(2010)गटर का आदमी (2015)
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रूपनारायण सोनकर
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14. |
मिसरमिया (2007) |
कावेरी |
15. |
नीला आकाश(2011) |
सुशीला टांकभौरे |
16. |
गवाह तथागत (2004) मौला माफ कर दे(2013)
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कमल तेज |
17. |
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18. |
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19. |
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20. |
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