निर्गुण काव्यधारा की प्रवृत्तियां[Nirgun kavyadhara kee pravrttiyan]

निर्गुण काव्यधारा की प्रवृत्तियां[Nirgun kavyadhara kee pravrttiyan]

1. निराकार ब्रह्म की उपासना निर्गुण सगुण में परे अनादि अनंत अनाम, अज्ञान ब्रह्म का नाम- जप।

2. गुरु की गुरुता के प्रति दिव्य श्रध्दा।

3. माया की व्यर्थता का प्रतिपादन।

4. संसार की असारता का निरूपण।

5. भक्ति भावना के विविध आयाम। *दास्यभक्ति, संख्य भक्ति, वात्सल्य भक्ति, शांत भक्ति,माधुर्य भक्ति।

6. सामाजिक सुधार की संदृष्टि।

7. नारी विषयक चिंतन।

8. रहस्यात्मकता।

9. मानवतावादी चिंतन।

10. ज्ञान की प्रतिष्ठा।

11. रूढ़ियों तथा आडम्बरों का विरोध।

12. जाति- पाँति को अमान्यता।

13. मानसिक शक्ति, सहज साधना, प्रेम के माध्यम से कर्मकांड की अनपेक्षित दुरुहताओं को दूर करना।

14. लोक भाषा का प्रयोग।

15. अलौकिक प्रेम द्वारा अलौकिक/ आध्यात्मिक प्रेम की अभिव्यक्ति।

 

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