पाहुड दोहा का परिचय(Pahud Doha ka parichay)

?पाहुड दोहा का परिचय?

* रचयिता- राम सिंह

* रचना समय :- संवत् 1794 अर्थात् 1737 ई.

* भाषा- अपभ्रंश भाषा

* कुल पद्यों की संख्या – 222 पद्यों में

 

*अत्यंत मधुर और सरल शैली से चैतन्यदेव का गुणगान गाते हुए बर्हिमुखता छुड़ाकर अंर्तमुखता उत्पन्न करती है।

 

* जैनियों ने ‘पाहुड’ शब्द का प्रयोग किसी विशेष विषय के प्रतिपादक ग्रंथ के अर्थ में किया है।

 

* पाहुड का संस्कृत रूपांतरण – प्रामृत

 

* प्रामृत का अर्थ – उपहार

 

* पाहुड दोहा का अर्थ है – दोहा का उपहार

* पाहुड दोहा ग्रंथ के कर्ता एक योगी थे और योगियो को ही सम्बोधन कर के उन्होंने ग्रंथ रचना की।

* पाहुम दोहों के अन्तर्गत सांसारिक सुख और इन्द्रियों सुख की निंदा।

* पाहुड दोहा की प्रथम पंक्ति-
” गुरु दिणेयरु गुरु हिमकरणु गुरु दीवउ गुरु देउ।
अप्पापरहं परंपरहं जो दरिसावइ भेउ।।”अर्थात् जो आत्मा और पर की परंपरा का भेद दर्शाता है वह दिनकर (सूर्य) गुरु है,हिमकिरण (चंद्र) गुरु है, दीप गुरु है और देव भी गुरु है ।

 

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