भरतेश्वर बाहुबली रास का परिचय(जैन साहित्य की रास परपंरा का प्रथम ग्रंथ)
भरतेश्वर बाहुबली रास(जैन साहित्य की रास परपंरा का प्रथम ग्रंथ)
• रचयिता – शालिभद्रसुरी (भीमदेव द्वितीय के समय पाटण में हुए थे।)
• रचना समय – 1185ई. में
• रचना तिथि – संवत् 1231(मुनिजिन विजय के अनुसार)
• 205 छन्दों में रचित।
• खंडकाव्य
• वीर रस प्रधान और अंत में शांत रस
• 203 कड़ियां में रचित।
• शालिभद्रसुरी पाटन में निवास करते थे।(मुनिजिन विजय के अनुसार)
डॉ. गणपति चंद्रगुप्त ने शालिभद्र सुरी हिन्दी का प्रथम कवि माना
• विषय – इसमें भरत और बाहुबली के साथ तीर्थकर ऋषभदेव के बीच हुए युद्ध का वर्णन ।बाद में बाहुबली ने अपने तप और त्याग के बाद ज्ञान प्राप्त करता है ।
• इसके दो संस्करण प्राप्त है – लालचंद भगवान दास गांधी द्वारा संपादित (प्राच्य विद्या मंदिर बड़ौदा द्वारा प्रकाशित) और रास और रासान्वयी काव्य में प्रकाशित।
• पंक्ति – “बोलत बाहुबली बलवन्त।लोहे खण्डि तउ गरवीड हंत।”
Bharateshwar Bahubali Raas https://hindibestnotes.com जैन साहित्य की रास परपंरा का प्रथम ग्रंथ डॉ. गणपति चंद्रगुप्त ने शालिभद्र सुरी हिन्दी का प्रथम कवि माना भरतेश्वर बाहुबली रास का परिचय शालिभद्रसुरी 2021-02-01
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