चन्द्रदेव से मेरी बाते कहानी(chandradev se meri bate kahani)

💐 चन्द्रदेव से मेरी बातें💐
राजेंद्र बाला घोष/बंग महिला

◆  प्रकाशन :-1904ई. सरस्वती पत्रिका में

◆ भगवान चन्द्रदेव! आपके कमलवत् कोमल चरणों में इस दासी का अनेक बार प्रणाम।

◆  आज मैं आपसे दो चार बातें करने की इच्छा रखती हूँ।
★ आप इस आकाश मंडल में चिरकाल से वास करते हैं। क्या यह बात सत्य है ?
★ क्या आपका डिपार्टमेण्ट (महकमे में ट्रांसफ़र (बदली) होने का नियम नहीं है?
★ क्या आपकी गवरमेण्ट पेंशन भी नहीं देती ?

◆ भगवान चंद्रदेव:-
★ इस सृष्टि के साथ  ही चन्द्र देव भी सृष्टि हुई।

★ आप ढेर दिन के पुराने, बूढ़े कहे जा सकते हैं।

★ काम सदा से एक ही, और एक ही स्थान में करते आते हैं।

★  आप हमारी न्यायशीला गवर्नमेण्ट’ के किसी विभाग में सर्विस (नौकरी) करते होते तो आपकी पदोन्नति हो गई होती।

★ वृद्ध अवस्था में पेंशन प्राप्त कर काशी में बैठकर हरि नाम स्मरण करके अपना परलोक बनाते।

★  देवता भी अपनी जाति के कैसे पक्षपाती होते हैं।

★  चंद्रदेव को अमृत देकर उन्होंने अमर कर दिया तब यदि मनुष्य होकर हमारे अंग्रेज़ अपने जातिवालों का पक्षपात करे।

★ अंग्रेज जाति की सेवा करना  हो तो  एप्लीकेशन (निवेदन पत्र) किसे भेजे? :-  आधुनिक भारत प्रभु लॉर्ड कर्ज़न को

★ आधुनिक भारत प्रभु :- लॉर्ड कर्ज़न

★ कृष्णांग जाति :- भारतवासियों
★  गौरांग जाति :- अंग्रेजों

◆ सुयोग्य, कार्यदक्ष, परिश्रमी, बहुदर्शी, कार्यकुशल और सरल स्वभाव महात्मा:- लॉर्ड कर्ज़न

◆  लॉर्ड कर्ज़न भारत के क्या बनकर आये?;- स्थायी भाग्य विधाता

★  उनको कमिशन और मिशन दोनों ही अत्यंत प्रिय हैं।

★ आपके चंद्रलोक में जो रीति और नीति सृष्टि के आदि काल में प्रचलित थे वे ही सब अब भी हैं।

★ इतना परिवर्तन हो गया है कि भूत और वर्तमान में आकाश पाताल का सा अंतर हो गया है।

★  लॉर्ड कर्ज़न के नेत्रों की ज्योति मंद क्यो पड़ गई ? :- क्योंकि आधुनिक भारत संतान लड़कपन से ही चश्मा धारण करने लगी।

★ लॉर्ड कर्ज़न भारत का किस दिन भ्रमण  कर जा सकते हैं? :-  अमावस्या

★ लॉर्ड कर्ज़न को भारत में विशेष रूप किस स्थान का भ्रमण करने के लिए कहा गया? :-  केवल राजधानी कलकत्ता का

★ कलकत्ता के कल कारखानों को देखकर आपको यह अवश्य ही कहना पड़ेगा कि यहाँ के कारीगर तो विश्वकर्मा के भी लड़कदादा निकले।

★  आपकी प्रिय सहयोगिनी दामिनों, जो मेघों पर आरोहण करके आनंद से अठखेलियां किया करती है वह बेचारी भी यहाँ मनुष्य के हाथों का खिलौना हो रही है।

★ भगवान निशानाथ ! जिस समय आप अपनी निर्मल चन्द्रिका को बटोर मेघमाला अथवा पर्वतों की ओट से सिन्धु के गोद में जा सकते हैं, उस समय यही नीरद- वासनी, विश्वमोहिनी, सौदामिनी अपनी उज्जवल मूर्ति से आलोक प्रदान कर, रात को दिन बना देती है।

★ आपके देवलोक में जितने देवता हैं उनके वाहन भी उतने हैं, किसी का गज, किसी का हंस, किसी का बैल, किसी का चूहा इत्यादि पर यहाँ तो सारा बोझ आपकी चपला और अग्निदेव के माथे मढ़ा गया है।

★  श्वेतांग महाप्रभु गण :- भारत वासियों के लिए

★ उन्होंने इलेक्ट्रिसिटी’ (बिजली) को ला पटका।

★ भारत का उच्च शिक्षा प्राप्त युवक किस के  भाँति है? :- काठ के पुतलों की भाँति

★ जिस व्योमवासिनी विद्युत देवी को स्पर्श तक करने का किसी व्यक्ति का साहस नहीं हो सकता। वही आज पराये घर में आश्रिता नारियों की भाँति ऐसे दबाव में पड़ी है।

★ बेचारी के भाग्य में विधाता ने दासी – वृत्ति ही लिखा था …हरिपदोद्भवा त्रैलोक्यपावनी सुरसरी के भी खोटे दिन आये हैं, वह भी अब स्थान स्थान में बन्धनग्रस्त हो रही हैं।

★ कलकत्ता को देखकर देवराज सुरेन्द्र (चन्द्र देव) ने क्या कहा ?  :-
– अमरावती तो कलकत्ता आगे फीकी लगती है। – ईडन गार्डन तो नन्दन कानन को भी मात दे रहा है।

★ विश्वविद्यालय के विश्वश्रेष्ठ पंडितों की विश्वव्याधिनी विद्या को देखकर वीणापाणि सरस्वती देवी क्या कहा? :- विद्या दिग्गजों की विद्याचमत्कारिणी

★  फोर्ट विलियम के फौजी सामान देखकर किसके छक्के छूट जायेंगे? :- देव सेनापति कार्तिकेय बाबू
क्योंकि देव सेनापति महाशय देखने में खास बंगाली बाबू से जँचते हैं। और उनका वाहन भी एक सुन्दर मयूर है।

★ कलकत्ता की टकसाल  को देखकर सिन्धुतनया आपकी प्रिय सहोदरा कमला देवी तथा कुबेर भी अकचका जायेंगे।

भगवान चंद्र देव :-  अनादि काल से निज उज्जवल वपु में कलंक की कालिमा लेपन करके कलकीं शशांक, शशधर, शशलांछन, आदि उपाधि – मालाओं से भूषित हो रहे हैं।

★ बम्बई में स्वर्गीय महारानी विक्टोरिया देवी की प्रतिमूर्ति से काला दाग छुड़ाने में प्रोफेसर गज्जर महाशय फलीभूत हुए हैं।

★ आपके स्वामी सूर्य भगवान पर जब हमारे भूमण्डल की छाया पड़ती है, तभी आप लोगों पर ग्रहणलगता है। पर आप का तो अब तक, वही पुराना विश्वास बना हुआ है कि जब कुटिल ग्रह राहु आपको निकल जाता है तभी ग्रहण होता है।

★ अब भारत में न तो आपके और न आपके स्वामी भुवनभास्कर सूर्य महाशय ही के वंश धरों का साम्राज्य और न अब भारत की वह शस्य श्यामला स्वर्णप्रसूता मूर्ति ही है।

★ अब तो आप लोगों के अज्ञात, एक अन्य द्वीप – वासी परम शक्तिमान गौरांग महाप्रभु इस सुविशाल भारत वर्ष का राज्य वैभव भोग रहे हैं।

★   प्रति वर्ष पदवी दान के समय कितने ही राज्य विहीन राजाओं की सृष्टि हुआ करती है, पर आपके वंशधरों में जो दो चार राजा महाराजा नाम मात्र के हैं भी, वे काठ के पुतलों की भाँती हैं। जैसे उन्हें उनके रक्षक नचाते हैं, वैसे ही वे नाचते हैं। वे इतनी भी जानकारी नहीं रखते कि उनके राज्य में क्या हो रहा है उनकी प्रजा दुखी है, या सुखी ?

★ भगवान चन्द्रदेव भारत भ्रमण करने के लिए आये तो किसको साथ लेकर आये? :-   फैमिली डॉक्टर धन्वन्तरि महाशय को और देवताओं के चीफ जस्टिस चित्रगुप्तजी

★  धन्वन्तरि महाशय भारत के डॉक्टरों के सन्निकट चिकित्सा सम्बन्धी बहुत कुछ शिक्षा लाभ कर सकेंगे।

★ कलकत्ता में कौनसा रोग फैल रहा  था ? :- प्लेग

★ भारत के इण्डियन पीनल कोड की धाराओं को देखकर चित्रगुप्तजी महाराज यहाँ की दण्डविधि (कानून) को  सुधार सकते हैं।

और यदि बोझ न हो तो यहाँ से वे दो चार टाइप राइटर भी खरीद ले जाये। जब प्लेग महाराज के अपार अनुग्रह से उनके ऑफिस में कार्य की अधिकता होवे, तब उससे उनकी राइटर्स बिल्डिंग के राइटर्स के काम में बहुत ही सुविधा और सहायता पहुँचेगी। वे लोग दो दिन का काम दो घण्टे में कर डालेंगे

★ अच्छा, अब मैं आपसे विदा होती हूँ। मैंने तो आपसे इतनी बातें कही, पर खेद है, आपने उनके अनुकूल या प्रतिकूल एक बात का भी उत्तर न दिया। परन्तु आपके इस मौनावलम्ब को मैं स्वीकार का सूचक समझती हूँ। अच्छा, तो मेरी प्रार्थना को कबूल करके एक दफा यहाँ आइएगा जरूर।

 

 

 

 

 

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दुलाई वाली कहानी

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