रामचरितमानस और कवितावली में कलियुग की मूल समस्या(Ramcharitmanas and Kavitavali ein kaliyug ki mool samasya)

🌺रामचरितमानस और कवितावली में कलियुग की मूल समस्या🌺

 

🌺कलियुग तुलसी दास के समय का यथार्थ है।

🌺रामचरितमानस में कलियुग की मूल समस्या :-

● लोग वर्णाश्रम धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं।

● परिवार की मर्यादाएँ बिखरती जा रही हैं।

● राजा प्रजा से निरपेक्ष होकर भोग में लीन है।

💐 कवितावली में कलियुग की मूल समस्या :-आर्थिक ।
कवितावली में गरीबी, बेरोजगारी, अकाल आदि कलियुग के प्रधान लक्षण बताए गए हैं।

तुलसीदास ने सिर्फ कवितावली के कलि- वर्णन में गोरख का नाम लिया है – “गोरख जगायो जोग, भगति भगायो लोग ” अर्थात गोरख ने योग जगाकर भक्ति को लोगों के बीच से भगा दिया है। तुलसीदास का मानना है कि गोरख भक्ति विरोधी थे । गोरख की यह विचारधारा उन्हें पसंद नहीं थी । इसीलिए गोरख को उन्होंने कलि- वर्णन में स्थान दिया।

बरन-धरम गयो, आस्रम निवास तज्यो,
त्रासन चकित सो परावनो परो सो है।
करम उपासना कुबासना बिनास्यो, ज्ञान
बचन, बिराग बेष, जगत हरी सो है।
गोरख जगायो जोग, भगति भगायो लोग,
निगम नियोग ते सो केलि ही छरो सो है।
काय मन बचन सुभाष तुलसी है जाहि,
रामनाम को भरोसो ताहि को भरोसो है।(84)

व्याख्या: तुलसीदास अपने समय की चिंता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र आदि चारों ने अपने कर्म का त्याग कर दिया और वर्णाश्रमों को छोड़ दिया है। अधर्म से त्रस्त जन धर्म से भाग रहे हैं। कर्म, उपासना और ज्ञान को बुरी वासनाओं ने नष्ट कर दिया है। वचन मात्र के वैराग्य और वेष ने जगत को ठग लिया है। गोरखनाथ के योग के प्रचार से लोग भक्ति से विमुख हो गए और वेद की आज्ञा ने खेल ही में संसार को ठग लिया। तुलसीदास कहते हैं कि जिसे शरीर, मन, वचन से स्वाभाविक ही राम नाम का भरोसा है, उसी को संबंध में भी अटूट विश्वास होता है।

 

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