आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के आलोचनात्मक ग्रंथ(Acharya Hazari Prasad Dwivedi ke aalochanatmak granth)

🌺आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख आलोचनात्मक कृतियाँ🌺

◆ सूर साहित्य (1930 ई.)

हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940 ई.)

कबीर उदात्त (1941 ई.)

हिन्दी साहित्य का आदिकाल (1952 ई.)

सहज साधना (1963 ई.)

कालिदास की लालित्य योजना (1965 ई.)

मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970 ई.)

 

🌺हजारी प्रसाद द्विवेदी भारतीय साहित्य के प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण लेखक थे, जिनकी आलोचनात्मक कृतियाँ साहित्य की विविधता को उजागर करती हैं। उनकी प्रमुख आलोचनात्मक कृतियों में से कुछ हैं:

1. रामविलास शर्मा:-  इस पुस्तक में हजारी प्रसाद द्विवेदी ने उनकी साहित्यिक विचारधारा को स्पष्ट किया और समाज में उसका प्रभाव व्यक्त किया।

2. भारतीय साहित्य और सामाजिक वास्तविकता:- इस कृति में उन्होंने भारतीय साहित्य के विभिन्न पहलुओं और सामाजिक संदेशों को विश्लेषण किया।

3. साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास:- यह पुस्तक हजारी प्रसाद द्विवेदी के साहित्य के विकास और उनके आलोचनात्मक दृष्टिकोण को समझने में मदद करती है।

4. साहित्य का अध्ययन:-  इस कृति में साहित्य के विभिन्न पहलुओं के अध्ययन पर विचार किए गए हैं, जैसे कि साहित्य का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य।

5. व्यक्तित्व और साहित्य:-  इस पुस्तक में हजारी प्रसाद द्विवेदी ने साहित्यकारों के व्यक्तित्व और उनके लेखन के बीच संबंध को विस्तार से विश्लेषण किया है।

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