रासो शब्द की उत्पत्ति( raaso shabd ki utpatti)

“रासो” शब्द की उत्पत्ति संस्कृत साहित्य से जुड़ी है। यह शब्द “रस” (महसूसी अनुभव या भावना) से निकला है, जो साहित्यिक काव्य और नाट्य शास्त्र में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। “रासो” का उपयोग भारतीय साहित्य और नृत्य के संदर्भ में किया जाता है, विशेष रूप से कृष्ण लीला के सांस्कृतिक और धार्मिक कथाओं के लिए।

“रास” के रूप और आयाम कई होते हैं। इस शब्द का प्रमुख अर्थ है एक परम्परागत नृत्य प्रदर्शन, जो भगवान कृष्ण और उसके गोपियों के बीच विवाह लीला या अन्य लीलाओं को दर्शाने के लिए किया जाता है। यह नृत्य भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है और अपने धार्मिक और सांस्कृतिक संदेश के लिए प्रसिद्ध है।

इसके अलावा, “रास” का शब्दिक अर्थ होता है “रमना” या “मनोरंजन”। इसके अलावा, यह शब्द भारतीय साहित्य में भावनाओं और भावों का व्यक्ति करने के लिए भी उपयोग किया जाता है।

क्रम संख्या

विद्वान

रासो शब्द की उत्पत्ति

1.        

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

रसायन

2.        

गार्सा द तासी

राजसूय

3.        

गौरीशंकर ओझा

रास

4.        

मोहनलाल विष्णु लाल पाण्ड्य,

डॉ.दशरथ शर्मा,

विजयरामवैध

रास/ रासक

5.        

डॉ.रामकुमारवर्मा,

कविराज श्यामल दास,

डॉ.काशी प्रसाद जायसवाल

रहस्य

6.        

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी,

विश्वनाथ प्रसाद मिश्र,

चन्द्रबली पांडेय

रासक

7.        

ग्रियर्सन

रायसो(राजा का देश है)

8.        

पंडित हरप्रसाद शास्त्री

राजयज्ञ

9.        

डॉ.विंध्येश्वरी पाठक

राजयश

10.    

      नरोत्तम स्वामी

रसिक

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