राउरवेलि(राउलवेल) का परिचय(Raurveli ka parichay)

🌺राउरवेलि(राउलवेल) का परिचय 🌺

 

* रचनाकाल – 10वीं शताब्दी( डॉ. नगेन्द्र के अनुसार)

 

* राउलवेल का अर्थ – राजकुल विलास(इसलिए शिलालेख के व्यक्ति राजकुल के प्रतीत होते है।)

 

*विषय:- सामन्त की नायिकाओं का नखशिख वर्णन।(सात नायिकाओं का)

 

* रचनाकार – रोड़ा

 

* हिन्दी का प्रथम चम्पू काव्य(गद्य-पद्य मिश्रण)

 

* शिलांकित(शिला या चट्टानो पर लिखा हुआ है।)

 

* प्रमुख रस – श्रृंगार रस

 

* काव्य रूप – मुक्तक

 

* हिन्दी का प्रथम नखशिख(औरत के श्रृंगार का सिर से लेकर पैर के नाखून तक सौदर्य का वर्णन) वर्णन किया गया है।

 

* इसमे किसी राजा के अन्तःपुर मे रहने वाली विभिन्न प्रदेशों की रानियों का वर्णन किया गया है।

 

* राउरवेलि मे हिन्दी की सात बोलियो के शब्द मिलते है जिनमे राजस्थानी प्रधान है।

 

* इसमें छः नखशिख हैः-

(1.) पहली नख-शिख की नायिका प्रारंभ की पंक्तियां तथा कुछ अन्य अंश खंडित है। इसमें नायिका की भाषा पश्चिमी मध्यदेश की है। (पंक्ति – 1 से 5 तक)

(2.) दुसरे नख -शिख की नायिका महाराष्ट्र की। (पंक्ति – 5 से 10 तक)

(3.) तीसरे नख -शिख की नायिका पश्चिमी राजस्थान या गुजरात की। (पंक्ति – 10 से 14 तक)

(4.) चौथा नख -शिख की नायिका का टक्किणी से संबंध । (पंक्ति – 14 से 19 तक)

(5.) पांचवा नख -शिख की नायिका का गौडीया से संबंध।(पंक्ति – 19 से 28 तक)

(6.) छठा नख – शिख की नायिका दो मालवीयाओं से संबंध । (पंक्ति – 28 से 46 तक)

 

* राउलवेल की भाषा में हिन्दी की सात बोलियों के शब्द मिलते है जिनमें राजस्थानी प्रधान है।

* राउलवेल से हिन्दी में नख – शिख वर्णन की श्रंगार परम्परा आरंभ होती है।

* इसमें समस्त नायिकाएं सामन्त की नव – विवाहिताएं है। नववधू के लिए एक शब्द ‘ओलग‘ का उल्लेख है। राउलवेल में ‘ओलग‘ शब्द तीन स्थानों पर आया है। नववधू के लिए ‘ओलग‘ शब्द का प्रयोग हेमचन्द्र ने(देशी नाम माला में) और नरपति नाल्ह ने (बीसलदेव रासो में) किया है।

* यह एक शिलाकित कृति है जिसका पाठ बंबई के प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय में उपलब्ध कर प्रकाशित कराया गया। ( डॉ. नगेन्द्र के अनुसार)

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