रिट्ठणेमि चरिउ (हरिवंश पुराण) का परिचय[Rittanemi Chariyu (Harivansh Purana) ka parichay]

🌺रिट्ठणेमि चरिउ (हरिवंश पुराण) का परिचय 🌺

स्वयंभू द्वारा रचित 

• विषय – तीर्थंकर नेमिनाथ के चरित्र का वर्णन।

• कुल श्लोक – 18हजार श्लोक।

• चार काण्डों और 112 सिंधियों में विभाजित है।

• चार काण्डों में विभक्त :-

1. यादव कांड(20 संधियां)

2. कुरु कांड (20 संधियां)

3. युद्धकांड (20संधियां) फाल्गुन नक्षत्र तृतीया तिथी बुधवार और शिव नामक योग में यह काण्ड समाप्त हुआ।

4. उत्तर कांड(20 संधियां) भाद्रपद,दशमी रविवार और मूल नक्षत्र में उत्तर काण्ड प्रारंभ हुआ।

• कुल सिंधिया – 112 संधिया(99 संधिया स्वयंभू द्वारा रचित और 13 संधिया त्रिभुवन द्वारा रचित।)

• 1937 कडवक

• इसमें पहली 92 संधियां की रचना करने में कवि को 6 वर्ष 3 माह और 11 दिन लगे थे।

• काव्य की कथा का आधार – महाभारत और हरिवंश पुराण है ।

• डॉ. नामवर सिंह ने कहा – “अपभ्रंश में राम कथा का वर्णन कृष्ण कथा के वर्णन का सूत्रपात का श्रेय भी स्वयंभू को ही है ।”

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