साहित्य का देवता,साहित्य देवता,समय देवता[saahity ka devata,saahity devata,samay devata]

🌺साहित्य का देवता :- दुलारे लाल भार्गव (निराला के अनुसार)

◆ निराला दुलारे लाल भार्गव के व्यक्तित्व से इतने अभिभूत थे कि उन्हें ‘साहित्य का देवता’ कहा करते थे।

★ दुलारे लाल भार्गव निराला के मुक्त छंदों के समर्थक या प्रशंसक नहीं थे।

🌺 साहित्य देवता :- माखनलाल चतुर्वेदी (डॉ.रामकुमार वर्मा के अनुसार)

◆ डॉ.रामकुमार वर्मा ने कहा:- “पंडित जी, यह आपकी साहित्य साधना है, आप अध्यापक माखनलाल नहीं है, साहित्य देवता माखनलाल हैं।”

साहित्य देवता :- माखनलाल चतुर्वेदी का निबंध संग्रह,1943

● इसमें संकलित निबंधों में भावुकता की प्रधानता है, पर वे चिंतन से बिलकुल शून्य नहीं हैं।

● इन निबंधों को गद्य काव्य के अधिक समीप रख सकते हैं क्योंकि इनमें पाठक काव्यानंद ही अधिक प्राप्त करता है।

● आलोचकों की मान्यता है कि इन निबंधों में स्वामी रामतीर्थ की मस्तानी भावुकता, भावावेश और सरदार पूर्णसिंह की लाक्षणिकता, दार्शनिकता और लोकमान्य तिलक की निर्भीकता, स्वच्छंदता और तीव्रता की छटा मिलती है।

● डॉ. क. म. मुंशी के शब्दों में “चतुर्वेदी जी के ‘साहित्य देवता’ की गणना संसार की सर्वश्रेष्ठ सात कृतियों में की जा सकती है।”

🌺 समय देवता (कविता ) :- नरेश मेहता

★ प्रकाशन : – 1951ई.

★ मेरा समर्पित एकांत’ काव्य संग्रह में संकलित लम्बी कविता

★ यह ‘दूसरा सप्तक’ में भी संगृहीत है।

★ इस कविता को नरेश ने नयी कविता की पहली लम्बी कविता कहा है।

★ ‘समय देवता’ में दुनिया भर के देशों की सांस्कृतिक-राजनीतिक गतिविधियों का दृश्यांकन हुआ है।

‘समय देवता’ एक महत्त्वाकांक्षापूर्ण कविता है।

★ इस कविता के माध्यम से कवि विभिन्न भूखण्डों के भूगोल, इतिहास और संस्कृति पर कुछ इस ढंग से प्रकाश डालता है कि वहाँ के निवासियों की रीति-नीति और आशा-आकांक्षाएँ उद्घाटित हो उठती हैं।

★ ‘समय देवता’ कविता में समय के आतंक, विभीषिकाओं, विसंगतियों, संत्रासों को इतिहास और प्रकृति की सापेक्षता में देखने की सार्थक कोशिश।

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